ज़िन्दगी में सभी के कई राज़ हैं ।
ज़िन्दगी में सभी के कई राज़ हैं ।
बाद तेरे फिजाएँ भी नाराज़ हैं ।
एक होकर भी हम एक हो ना सके –
अजनबी कल थे हम अजनबी आज हैं ।।
✍️ अरविन्द “महम्मदाबादी”
ज़िन्दगी में सभी के कई राज़ हैं ।
बाद तेरे फिजाएँ भी नाराज़ हैं ।
एक होकर भी हम एक हो ना सके –
अजनबी कल थे हम अजनबी आज हैं ।।
✍️ अरविन्द “महम्मदाबादी”