ज़िन्दगी दर्द की….(ग़ज़ल)
ग़ज़ल
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ज़िन्दगी दर्द की कहानी है।
यें दुनिया यही रह जानी है।
देके हमे कर्ज़ अपने यहाँ।
करनी उस और ही रव़ानी है।
छोड़ जायेंगे इस दुनियां में।
कुछ तेरी कुछ मेरी कहानी है।
जाके देना है फिर हिसाब उसे।
वहाँ भी हाज़री लगानी है।
खुदा को ख़ुद पसंद वो बन्दे है।
जिनकी ख़िदमत ही जिन्दगानी है।
जो करते है ख़िदमत-ए-इंसान सुधा।
शख़्सियत पे कुदरत की मेहरबानी है।
सुधा भारद्वाज
विकासनगर