“ज़िन्दगी जो दे रही
“ज़िन्दगी जो दे रही
सब शौक से स्वीकार है।
प्राप्त जो भी हो रहा
जीवन को अंगीकार है।
प्रभु तेरी सब देयता से
कर्म पथ पर मैं बढूंगी।
पुरस्कार सा स्वीकार लूंगी
हो जीत या कि हार है।”
“ज़िन्दगी जो दे रही
सब शौक से स्वीकार है।
प्राप्त जो भी हो रहा
जीवन को अंगीकार है।
प्रभु तेरी सब देयता से
कर्म पथ पर मैं बढूंगी।
पुरस्कार सा स्वीकार लूंगी
हो जीत या कि हार है।”