ज़िन्दगी को
ज़िन्दगी को सज़ा नहीं कहते।
हर ख़ता को ख़ता नहीं कहते।
वक़्त के साथ जो बदल जाए,
उसको अच्छी अदा नहीं कहते।
मिलते रहते हैं वो जो ख़्वाबों में,
हम उन्हें अलविदा नहीं कहते।
हमतो कहते हैं बस ख़ुदा को ख़ुदा,
ना’ ख़ुदा को ख़ुदा नहीं कहते।
डाॅ○फ़ौज़िया नसीम शाद