ज़िन्दगी को चला रहा पानी
वज़्न-2122 1212 22
मुसलसल ग़ज़ल
ज़िंदगी को चला रहा पानी।
बेसबब ही बहा दिया पानी।।
कैसे जीवन बचेगा बसुधा पर।
गर ज़मीं पर नही रहा पानी।।
सूखी नदियां हैं सूखे पोखर हैं।
पक्षियों को नहीं बचा पानी।।
लोग प्याऊ कभी लगाते थे।
आज बोतल में बिक रहा पानी।।
रेत को भी निचोड़ कर पीते।
उनकी आंखों का मर गया पानी।।
आज हो जल तभी तो कल होगा।
ये सबक भी सिखा रहा पानी।।
प्यास हद से अनीश बढ़ जाये।
जामे शर्ब़त सा भी लगा पानी।।
@nish shah sainkheda Narsinghpur(m.p.)