ज़िन्दगी के इम्तिहानों से अगर जो डर गया
: बह्र – रमल मुसम्मन महज़ूफ
ग़ज़ल – –
जिंदगी के इम्तिहानों से अगर जो डर गया।
मौत के आने से पहले ही वो समझो मर गया।।
जह्र ये तनक़ीद का जिसने पिया शंकर हुआ।
अब करे तनक़ीद कोई वाह से दिल भर गया।।
राह की मुश्किल बताती फ़र्क हम दोनों में क्या।
जानिबे मंजिल बढ़ा मैं और तू अपने घर गया।।
मुद्दतों से तीरगी ओढ़े हुए था ये चिराग़।
एक आया था शरारा इसको रोशन कर गया।।
दी सफ़ाई कातिलों ने हो गये वो तो बरी।
बेज़ुबां था मैं तो फिर इल्ज़ाम मेरे सर गया ।।
शख़्स इक अपना लगा था भीड़ में मुझको “अनीस” ।
वक़्त ए गर्दिश पीठ पर इक जख़्म वो देकर गया।।
– © अनीस शाह “अनीस”