Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Dec 2024 · 1 min read

ज़िन्दगी की शाम ढलती चली गई !

ज़िन्दगी की शाम ढलती चली गई !
उम्मीदें हाथ से फिसलती चली गई !

ये वक़्त का कारवाँ रुका नही कभी,
शक्ल मजबूरियाँ बदलती चली गई !

पहुँची न हसरतें मंज़िले मक़सूस तक,
नाकामियाँ हमें निगलती चली गई !

ज़िम्मेवरियों की लत लगी इस क़दर,
आवारगी मेरी हाथ मलती चली गई !

कलतक थे जो अपने वो बेवफ़ा हुए,
दिल्लगी मेरी मुझे छलती चली गई !

कैनवास बनकर ताउम्र जीता रहा तू,
ज़िंदगी रंग अपनी बदलती चली गई !

12 Views

You may also like these posts

अम्बर में अनगिन तारे हैं।
अम्बर में अनगिन तारे हैं।
Anil Mishra Prahari
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
“शादी के बाद- मिथिला दर्शन” ( संस्मरण )
“शादी के बाद- मिथिला दर्शन” ( संस्मरण )
DrLakshman Jha Parimal
तन अर्पण मन अर्पण
तन अर्पण मन अर्पण
विकास शुक्ल
आत्मविश्वास से लबरेज व्यक्ति के लिए आकाश की ऊंचाई नापना भी उ
आत्मविश्वास से लबरेज व्यक्ति के लिए आकाश की ऊंचाई नापना भी उ
Paras Nath Jha
मेरे सब्र का इंतिहा कब तलक होगा
मेरे सब्र का इंतिहा कब तलक होगा
Phool gufran
*एक बूढ़ी नदी*
*एक बूढ़ी नदी*
Priyank Upadhyay
मेरा साया ही
मेरा साया ही
Atul "Krishn"
अनवरत ये बेचैनी
अनवरत ये बेचैनी
Shweta Soni
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै
Harminder Kaur
कोई तंकीद कर नहीं पाते
कोई तंकीद कर नहीं पाते
Dr fauzia Naseem shad
*रामचरितमानस अति प्यारा (चौपाइयॉं)*
*रामचरितमानस अति प्यारा (चौपाइयॉं)*
Ravi Prakash
प्रेम प्रभु का
प्रेम प्रभु का
इंजी. संजय श्रीवास्तव
देखिए अगर आज मंहगाई का ओलंपिक हो तो
देखिए अगर आज मंहगाई का ओलंपिक हो तो
शेखर सिंह
মহাদেবের কবিতা
মহাদেবের কবিতা
Arghyadeep Chakraborty
क्या हुआ की हम हार गए ।
क्या हुआ की हम हार गए ।
Ashwini sharma
"मैंने समझा था"
Dr. Kishan tandon kranti
जग मग दीप  जले अगल-बगल में आई आज दिवाली
जग मग दीप जले अगल-बगल में आई आज दिवाली
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
शायर कोई और...
शायर कोई और...
के. के. राजीव
मेरे दिल की जुबां मेरी कलम से
मेरे दिल की जुबां मेरी कलम से
Dr .Shweta sood 'Madhu'
आध्यात्मिक व शांति के लिए सरल होना स्वाभाविक है, तभी आप शरीर
आध्यात्मिक व शांति के लिए सरल होना स्वाभाविक है, तभी आप शरीर
Ravikesh Jha
अब भी टाइम बचा बहुत है
अब भी टाइम बचा बहुत है
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal
11कथा राम भगवान की, सुनो लगाकर ध्यान
11कथा राम भगवान की, सुनो लगाकर ध्यान
Dr Archana Gupta
जन-जन के आदर्श तुम, दशरथ नंदन ज्येष्ठ।
जन-जन के आदर्श तुम, दशरथ नंदन ज्येष्ठ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
सच
सच
Neeraj Agarwal
12 अंधे मोड
12 अंधे मोड
Kshma Urmila
Love's Burden
Love's Burden
Vedha Singh
अगर मुझे तड़पाना,
अगर मुझे तड़पाना,
Dr. Man Mohan Krishna
द्रवित हृदय जो भर जाए तो, नयन सलोना रो देता है
द्रवित हृदय जो भर जाए तो, नयन सलोना रो देता है
Yogini kajol Pathak
2483.पूर्णिका
2483.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
Loading...