ज़िक्र तेरा लबों पे क्या आया
ज़िक्र तेरा लबों पे क्या आया ।
चैन दिल को, फिर नहीं आया ।।
खुद से बिछड़े न हम मिले खुद से ।
लौट कर वक़्त, फिर नहीं आया ।।
दर्द इतना अज़ीज़ था दिल को ।
अश्क़ आंखों में, फिर नहीं आया ।।
आज भी ढूंढती नज़र उसको ।
लौट कर जो, फिर नहीं आया ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद