ज़िंदा हो ,ज़िंदगी का कुछ तो सबूत दो।
ज़िंदा हो ,ज़िंदगी का कुछ तो सबूत दो।
सूखे पत्तों में भी ,सरसराहट हुआ करती है।
खेम किरण सैनी
ज़िंदा हो ,ज़िंदगी का कुछ तो सबूत दो।
सूखे पत्तों में भी ,सरसराहट हुआ करती है।
खेम किरण सैनी