Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Feb 2024 · 1 min read

ज़िंदा ब्रश

कुछ चित्र बहुत खूबसूरती से उकेर दिए,
उस चित्रकार ने।
महकाती मिट्टी, जो चीर रहीं थी नदियों की धाराओं को।
उसने उकेरे पेड़ों पे चहचहाते पंछी,
जो लहरा रहे थे पतली डालियां और हरे पत्ते।
उसने कहाँ मना किया कैनवास पर बिखेरने से आसमां की सुंदरता,
दिखा दिया उसने समय को भी ऋतुओं के रंगीन इंद्रधनुष में।
आखिर उन रंगों ने मिलकर बना दी जान –
बेजान अणुओं में।
और फिर,
अपने ही कैनवास को कर के बदरंग,
आसमां में फैंका धब्बों को,
समय को कर दिया आज़ाद ऋतुओं के बंधन से।
बदल दिए कैनवासों के बहुत से रंग,
जिन रंगों ने उकेरी थी जान,

उसने नहीं…
हम जानवरों ने।

Language: Hindi
88 Views

You may also like these posts

राम के नाम की ताकत
राम के नाम की ताकत
Meera Thakur
म्हारौ गांव धुम्बड़िया❤️
म्हारौ गांव धुम्बड़िया❤️
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
माई
माई
Shekhar Chandra Mitra
"नवरात्रि पर्व"
Pushpraj Anant
तुम में और मुझ में कौन है बेहतर?
तुम में और मुझ में कौन है बेहतर?
Bindesh kumar jha
बितता बदलता वक्त
बितता बदलता वक्त
AMRESH KUMAR VERMA
"संघर्ष के मायने"
Dr. Kishan tandon kranti
When you think it's worst
When you think it's worst
Ankita Patel
भोग पिपासा बढ़ गई,
भोग पिपासा बढ़ गई,
sushil sarna
मनमीत
मनमीत
लक्ष्मी सिंह
रोम-रोम में राम....
रोम-रोम में राम....
डॉ.सीमा अग्रवाल
श्री राम आ गए...!
श्री राम आ गए...!
भवेश
खुश रहने से और नेकियाँ करने से बड़ी उम्र भी छोटी लगती है ,
खुश रहने से और नेकियाँ करने से बड़ी उम्र भी छोटी लगती है ,
Neelofar Khan
AE888 là nhà cái uy tín hàng đầu cho cược thể thao, casino t
AE888 là nhà cái uy tín hàng đầu cho cược thể thao, casino t
AE888
आईना जिंदगी का
आईना जिंदगी का
Sunil Maheshwari
🙅राज्य के हित के लिए🙅
🙅राज्य के हित के लिए🙅
*प्रणय*
नींद ( 4 of 25)
नींद ( 4 of 25)
Kshma Urmila
मजदूर का दर्द (कोरोना काल )– गीत
मजदूर का दर्द (कोरोना काल )– गीत
Abhishek Soni
मैं तो बस कलम चलाता हूँ
मैं तो बस कलम चलाता हूँ
VINOD CHAUHAN
*** मुंह लटकाए क्यों खड़ा है ***
*** मुंह लटकाए क्यों खड़ा है ***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जो लगती है इसमें वो लागत नहीं है।
जो लगती है इसमें वो लागत नहीं है।
सत्य कुमार प्रेमी
जब बातेंं कम हो जाती है अपनों की,
जब बातेंं कम हो जाती है अपनों की,
Dr. Man Mohan Krishna
जिसने आपके साथ बुरा किया
जिसने आपके साथ बुरा किया
पूर्वार्थ
विचारों का शून्य होना ही शांत होने का आसान तरीका है
विचारों का शून्य होना ही शांत होने का आसान तरीका है
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तू भी खुद को मेरे नाम कर
तू भी खुद को मेरे नाम कर
Jyoti Roshni
नज़र  से मय मुहब्बत की चलो पीते पिलाते हैं
नज़र से मय मुहब्बत की चलो पीते पिलाते हैं
Dr Archana Gupta
देखना मत राह मेरी
देखना मत राह मेरी
अमित कुमार
फकीरी
फकीरी
Sanjay ' शून्य'
बूंद और समुंद
बूंद और समुंद
Dr MusafiR BaithA
हिंदी दोहा- अर्चना
हिंदी दोहा- अर्चना
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
Loading...