ज़िंदगी हो जिसमें, वो सुब्ह नज़र में रखना ,
ज़िंदगी हो जिसमें, वो सुब्ह नज़र में रखना ,
औरो की रक्खो लेकिन अपनी ख़बर भी रखना ।
—-डाॅ फौज़िया नसीम शाद
ज़िंदगी हो जिसमें, वो सुब्ह नज़र में रखना ,
औरो की रक्खो लेकिन अपनी ख़बर भी रखना ।
—-डाॅ फौज़िया नसीम शाद