ज़िंदगी में गीत खुशियों के ही गाना दोस्तो
ज़िंदगी में गीत ख़ुशियों के ही गाना दोस्तो,
ज़ख़्म कितने ही भले दे ये ज़माना दोस्तो.
राज़ सारे अपने भीतर दफ़्न कर लेना सदा,
मानकर अपना किसी को मत बताना दोस्तो।
अश्क का दरिया मचलता हो भले ही आँख में,
पर लबों पे मुस्कुराहट ही सजाना दोस्तो।
जिस किसी ने भी मुहब्बत की हदें तोड़ीं कभी,
इस जहां ने कह दिया उसको दिवाना दोस्तो.
जी लो अपनी ज़िंदगी तुम चाहे जितने शौक़ से,
पर किसी मुफ़लिस को हरगिज़ मत सताना दोस्तो.
धर्म मज़हब से बड़ी हो प्यार की पूजा जहाँ,
अब हमें इक मुल्क़ ऐसा है बनाना दोस्तो.
हो अंधेरी रात गहरी डर की इसमें बात क्या,
प्यार का दीपक हमेशा तुम जलाना दोस्तो।
अल्पना सुहासिनी