ज़िंदगी ने अब मुस्कुराना छोड़ दिया है
ज़िंदगी ने अब मुस्कुराना छोड़ दिया है
हंसी के मुखौटो को ग़म ने तोड़ दिया है
फुर्सत से बैठी है उदासी ज़िंदगी में
ग़म-ए-हयात ने भी अब रिश्ता जोड़ दिया है
ज़िंदगी ने अब मुस्कुराना छोड़ दिया है
हंसी के मुखौटो को ग़म ने तोड़ दिया है
फुर्सत से बैठी है उदासी ज़िंदगी में
ग़म-ए-हयात ने भी अब रिश्ता जोड़ दिया है