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12 May 2024 · 1 min read

ज़िंदगी जीने को कुछ वक्त बाकी है!!

क्या बयां करूं, गर्दिश-ए-हालात में,
ज़िंदगी जीने को कुछ वक्त बाकी है!!

मैं सोचता बहुत हूं, मगर ये भी न सोचूं,
अंधेरों में चराग़ जलाना अभी बाकी है!!

मंजिलें कुछ दिनों से नहीं देखी है मैंने,
अब तो जोर आजमाना अभी बाकी है!!

बेवजह ही है बेजां होठों पर मुस्कुराहटें,
माथे पर अनकहे शिकन अभी बाकी है!!

कुछ बयां करती हैं उसकी चेहरे की रंगतें,
काली जुल्फ़ों को संवारना अभी बाकी है!!

कश्मकश भरी दास्तां सुनाने को है बहुत,
बेवजह-के-ख़याल जहन में अभी बाकी है!!

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

Language: Hindi
29 Views
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