ज़िंदगी की हक़ीक़त से
ज़िंदगी की हक़ीक़त से
तब हुए वाक़िफ ।
मौत की आगोश में
जब समा बैठे।
एहसास-ए-नदामद
फ़िज़ूल बातों में ।
बे’ वजह ज़िंदगी को
ही हम गंवा बैठे ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
ज़िंदगी की हक़ीक़त से
तब हुए वाक़िफ ।
मौत की आगोश में
जब समा बैठे।
एहसास-ए-नदामद
फ़िज़ूल बातों में ।
बे’ वजह ज़िंदगी को
ही हम गंवा बैठे ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद