Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Mar 2024 · 1 min read

ज़िंदगी का खेल है, सोचना समझना

ज़िंदगी का खेल है, सोचना समझना
हर बात को सोचना समझना, मथना सहेजना,
यह तो ज़िंदगी का खेल है,
जिसमें जीत है, हार है,और हर पल नया सवाल है।

Overthinking कहते हैं इसे आज कल,पर मैं कहता हूँ,
यह तो ज़िंदगी का सार है,जिसमें हर पल नया अनुभव है।

ज़रूरत है सिर्फ संतुलन की,सोचने की, समझने की,
और फिर छोड़ देने की,जो चीज़ें बस बेकार हैं।

Overthinking से डरना नहीं चाहिए,यह तो ज़िंदगी को समझने का रास्ता है,
बस ज़रूरत है,सही दिशा में इसका इस्तेमाल करने की।

ज़िंदगी के हर पल का आनंद लें,सोचें, समझें, और फिर आगे बढ़ें,
यही तो ज़िंदगी का खेल है,जिसमें हर पल नया सफर है।

243 Views

You may also like these posts

इश्क की अब तलक खुमारी है
इश्क की अब तलक खुमारी है
Dr Archana Gupta
" जिन्दगी "
Dr. Kishan tandon kranti
टूटा हुआ सा
टूटा हुआ सा
Dr fauzia Naseem shad
सभी को सभी अपनी तरह लगते है
सभी को सभी अपनी तरह लगते है
Shriyansh Gupta
किये वादे सभी टूटे नज़र कैसे मिलाऊँ मैं
किये वादे सभी टूटे नज़र कैसे मिलाऊँ मैं
आर.एस. 'प्रीतम'
सैनिक का सावन
सैनिक का सावन
Dr.Pratibha Prakash
यूँ धीरे-धीरे दूर सब होते चले गये।
यूँ धीरे-धीरे दूर सब होते चले गये।
लक्ष्मी सिंह
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
ईगो का विचार ही नहीं
ईगो का विचार ही नहीं
शेखर सिंह
3667.💐 *पूर्णिका* 💐
3667.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
अंतरिक्ष के चले सितारे
अंतरिक्ष के चले सितारे
डॉ. दीपक बवेजा
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
सुंदर सा चित्र
सुंदर सा चित्र
Sudhir srivastava
तुम बिन
तुम बिन
ललकार भारद्वाज
सुनहरी भाषा
सुनहरी भाषा
Ritu Asooja
तुम्हे चिढ़ाए मित्र
तुम्हे चिढ़ाए मित्र
RAMESH SHARMA
सारा शहर अजनबी हो गया
सारा शहर अजनबी हो गया
Surinder blackpen
"यादें"
Yogendra Chaturwedi
बारह ज्योतिर्लिंग
बारह ज्योतिर्लिंग
सत्य कुमार प्रेमी
कितनी राहें
कितनी राहें
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
चौखट पर जलता दिया और यामिनी, अपलक निहार रहे हैं
चौखट पर जलता दिया और यामिनी, अपलक निहार रहे हैं
पूर्वार्थ
अगर मन वचन और कर्मों में मर्यादा न हो तो
अगर मन वचन और कर्मों में मर्यादा न हो तो
Sonam Puneet Dubey
*धक्का-मुक्की हो रही, संसद का यों चित्र (कुंडलिया)*
*धक्का-मुक्की हो रही, संसद का यों चित्र (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
बगल में कुर्सी और सामने चाय का प्याला
बगल में कुर्सी और सामने चाय का प्याला
VINOD CHAUHAN
आपने जो इतने जख्म दिए हमको,
आपने जो इतने जख्म दिए हमको,
Jyoti Roshni
- तुम कर सकते थे पर तुमने ऐसा किया नही -
- तुम कर सकते थे पर तुमने ऐसा किया नही -
bharat gehlot
सरमाया – ए – हयात
सरमाया – ए – हयात
Sakhi
साथ अपनों का छूटता गया
साथ अपनों का छूटता गया
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
पितृपक्ष में तर्पण
पितृपक्ष में तर्पण
Sushma Singh
संवेदनाएं जिंदा रखो
संवेदनाएं जिंदा रखो
नेताम आर सी
Loading...