Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jul 2017 · 1 min read

*ज़िंदगी* (कविता)

“ज़िंदगी” (कविता)
*******

अजब पहेली बनी ज़िंदगी उलझ गई जज़्बातों में
मोती के दानों सी बिखरी फ़िसल गई हालातों में,
कालचक्र सा घूम रहा है समय बीतता बातों में
आहें भरती सिसक-सिसक कर दर्द भरे आघातों में।

संघर्षों के पथ पर चल कर नया मुकाम बनाना है
शूल बिछे हैं जिन राहों में उन पर फूल खिलाना है,
सुख-दुख आते जाते रहते साहस नहीं गँवाना है
तूफ़ानों से लड़कर कश्ती साहिल तक पहुँचाना है।

दुर्गम राह विवशता छलती धूप देह झुलसाती है
फूट गए कदमों के छाले आस नेह बरसाती है,
रिश्ते-नाते नोंच रहे हैं पाप भूख करवाती है
चाल चले शतरंजी शकुनी किस्मत खेल खिलाती है।

परिवर्तन का नाम ज़िंदगी नित नया सबक सिखलाती
नेह संपदा पूत लुटा कर पतझड़ मौसम बन जाती,
आँख-मिचोली खेल खेलती मौत अँधेरी मँडराती
सहनशीलता धैर्य सिखा कर साथ मनुज का ठुकराती।

नाम-डॉ.रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”
प्रस्तुति-२८.७.२०१७

Language: Hindi
1 Like · 538 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all
You may also like:
2936.*पूर्णिका*
2936.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
இந்த உலகில்
இந்த உலகில்
Otteri Selvakumar
क्या हुआ गर तू है अकेला इस जहां में
क्या हुआ गर तू है अकेला इस जहां में
gurudeenverma198
बिना मांगते ही खुदा से
बिना मांगते ही खुदा से
Shinde Poonam
याद रहेगा यह दौर मुझको
याद रहेगा यह दौर मुझको
Ranjeet kumar patre
धुंध इतनी की खुद के
धुंध इतनी की खुद के
Atul "Krishn"
लोकतन्त्र के मंदिर की तामीर बदल दी हमने।
लोकतन्त्र के मंदिर की तामीर बदल दी हमने।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
वर्षा के दिन आए
वर्षा के दिन आए
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बड़े-बड़े शहरों के
बड़े-बड़े शहरों के
Chitra Bisht
निःस्वार्थ रूप से पोषित करने वाली हर शक्ति, मांशक्ति स्वरूपा
निःस्वार्थ रूप से पोषित करने वाली हर शक्ति, मांशक्ति स्वरूपा
Sanjay ' शून्य'
नंबर पुराना चल रहा है नई ग़ज़ल Vinit Singh Shayar
नंबर पुराना चल रहा है नई ग़ज़ल Vinit Singh Shayar
Vinit kumar
मौन
मौन
P S Dhami
भावना का कलश खूब
भावना का कलश खूब
surenderpal vaidya
रुक्मिणी संदेश
रुक्मिणी संदेश
Rekha Drolia
बाजारवाद
बाजारवाद
Punam Pande
मेरे हमसफ़र 💗💗🙏🏻🙏🏻🙏🏻
मेरे हमसफ़र 💗💗🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Seema gupta,Alwar
*सच्चे  गोंड और शुभचिंतक लोग...*
*सच्चे गोंड और शुभचिंतक लोग...*
नेताम आर सी
ഒന്നോർത്താൽ
ഒന്നോർത്താൽ
Heera S
*तुम न आये*
*तुम न आये*
Kavita Chouhan
*मेरा आसमां*
*मेरा आसमां*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मेरा घर
मेरा घर
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
*कितनी बार कैलेंडर बदले, साल नए आए हैं (हिंदी गजल)*
*कितनी बार कैलेंडर बदले, साल नए आए हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
ज़माने ने मुझसे ज़रूर कहा है मोहब्बत करो,
ज़माने ने मुझसे ज़रूर कहा है मोहब्बत करो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
.
.
Shwet Kumar Sinha
कुंडलिया
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
रमेशराज के मौसमविशेष के बालगीत
रमेशराज के मौसमविशेष के बालगीत
कवि रमेशराज
गमले में पेंड़
गमले में पेंड़
Mohan Pandey
कभी अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर ,
कभी अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
इतना कहते हुए कर डाली हद अदाओं की।
इतना कहते हुए कर डाली हद अदाओं की।
*प्रणय*
*हों  गया है  प्यार जब से , होश  में हम है नहीं*
*हों गया है प्यार जब से , होश में हम है नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...