ज़िंदगी अभी बाकी है।
नयी उम्मीद के रूप में,
नयी सुबह फिर जागी है ,
आखों का खुलना इशारा है,
कि ज़िंदगी अभी बाकी है,
पूरे करने हैं जो ,
कई अरमान अभी बाकी हैं ,
हार मानें तो मानें कैसे ,
कि जिस्म में जान अभी बाकी है,
कई ख़्वाब हैं जिनका हकीकत से,
दीदार अभी बाकी है,
परदा-ए-ज़िंदगी गिरा नहीं,
कि किरदार अभी बाकी है,
न जाने गुज़रते दौर के कितने,
काफिले अभी बाकी हैं,
कई रास्ते हैं बेकरार बुलाने को,
कि कई मंज़िलें अभी बाकी हैं।
आँखों का खुलना इशारा है,
कि ज़िंदगी अभी बाकी है।
कवि-अंबर श्रीवास्तव