ज़हर क्यों पी लिया
न पूछों कोई हमें ज़हर क्यों पी लिया
ज़हर ये पी लिया तों थोड़ा सा ज़ी लिया
अश्क आंखों में आये और जम के रह गये
कितनी मुश्किल से हमने ,चाक जिगर सी लिया।
माना हकीकतें बहुत तल्ख़ मिली है हमें
क्या करें ख्वाब तो हमने था हसीं लिया।
गिला नहीं जो तेरा हर वादा निकला झूठा
गुनहगार मैं हूं ,जिसने वादे पर यकीं किया।
सोचो ज़रा कैसे निकालोगे दिल से हमें
हर दरों दीवार छोड़,तेरे दिल में था मुकीं किया।
सुरिंदर कौर