ज़हर का प्याला
एक आग लगी
मेरे सीने में
हाय, दिसम्बर के
महीने में…
(१)
जब से छुआ है मेरे
होठों ने तेरे होठों को
कोई भीनी-भीनी
ख़ुशबू आए
मेरे ख़ून-पसीने में…
(२)
हिम्मत से इश्क़ होता है
हिम्मत से ही इंकलाब
बुजदिल की तरह
मायूस होकर
क्या मज़ा है जीने में…
(३)
सुकरात और मीरा क्यों
हमारे दिलों में ज़िंदा हैं
क्या आबे-हयात
मिला करता है
प्याला ज़हर का
पीने में…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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