ज़रा सामने बैठो।
पेश है पूरी ग़ज़ल…
जरा सामने बैठो जी भर कर देख लूं तुमको।
बुरा तो ना मानोगी अगर थोड़ा प्यार कर लूं तुमको।।1।।
शायद अब मुलाकात हो नो हो यूं जिंदगी में।
बाहों में समेट कर के थोड़ा महसूस कर लूं तुमको।।2।।
तुमसे मोहब्बत करने की इजाज़त मांगता हूं।
मौसम है आशिकाना थोड़ा आगोश में ले लूं तुमको।।3।।
तजकिरा किस से करें हम अपने इश्क का।
मुझमें ऐसी हिम्मत कहां हैं जो नाराज कर दूं तुमको।।4।।
उजली किरणों सा चमकता चेहरा है तेरा।
जिंदगी में दिले चाहत यही है बस देखता रहूं तुमको।।5।।
परियों सी रंगत है नूरे मुज्जसम से भरी।
तमन्ना है मेरी,तेरी मुहब्बत में गुमनाम कर दूं खुदको।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ