ज़रा कुछ दो बोल
इस दुनिया में सीधे-सच्चे लोगों का कोई,
रह ना गया मोल ,
पकड़कर उनकी बातों को उन्हें उलझाएँ ,
चाहे कितना तोलकर बोलें बोल ।
उनकी छोटी से भूल को भी जो गुनाह का नाम दें दे ,
ऐसी दुनिया में तेरी जी कर क्या करना है,
,हे प्रभु ! ज़रा कुछ तो बोल ।