ज़मीर बेच डाला है
झूठ का जो इस कदर अब बोलबाला है
इसका मतलब लोगो ने ज़मीर बेच डाला है
झूठ की दुकानों पर बहुत रौनक रहती है
सच्चाई के होठों पर क्यूं लग गया ताला है
सादगी की तो अब कोई क़दर नहीं करता
तबज्जो उसे मिलती जिसमें मिर्च मसाला है
ये दौलत के भूखे क्या मिटाएंगे गरीबी किसी की
इन्होने तो भूखों के मुंह से भी छीना निवाला है