ज़मीर की आवाज़
हमें आज़ादी के ख़्वाबों को
एक बुनियाद तो देनी होगी!
पिंजरे में क़ैद परिंदों को
एक परवाज़ तो देनी होगी!!
माना कि यहां सच बोलना
अब ख़तरे से खाली नहीं!
अपने ज़मीर को फिर भी
एक आवाज़ तो देनी होगी!!
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