ज़माने वालों ने मुझे ठुकराया बहुत
ज़माने ने मुझे ठुकराया बहुत
जले हुए दिल को जलाया बहुत
हम जिसके खातिर जिए मरे
उसी ने मुझे रूलाया बहुत
दर्द दिल में डूबे हुए कैसे जिएं
क़िस्मत ने मुझे आजमाया बहुत
दिल में लगी आग बुझती नहीं
आंसुओ से इसे बुझाया बहुत
या रब तु ही नूरी का पालनहार
मुझ गिरे को तुने उठाया बहुत
नूरफातिमा खातून “नूरी”
१६/३/२०२०