ज़माने भर के तमाम नशे करके
ज़माने भर के तमाम नशे करके
मैंने सबकुछ छोड़ दिया
तमाम किस्म के लोगों से रिश्ता निभानें के लिए
खुद का वजूद छोड़ दिया
और ना मुझे अब कोई नशा चाहिए
और ना मुझे अब वो लोग चाहिए
क्यों कि मुझे अब जिंदगी का सुरूर चढ़ा है
शिव प्रताप लोधी