Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 May 2023 · 1 min read

ज़माने का चलन

सदा चाहा भला सबका, नहीं चाही बुराई है।
इसी इक बात ने मेरी, फजीहत भी कराई है।
सबक़ सिखला दिया मुझको, समय ने और लोगों ने –
जियूंगा मतलबी होकर, क़सम यह मैंने खाई है।

मुसीबत में तुम्हारा साथ कोई भी नहीं देगा।
बनोगे रहनुमा जिसके वही तुमको द़गा देगा।
करेंगे वार पीछे से तुम्हारे खैरख्वा बनकर-
ज़मीं पाँवों तले छिनकर, छुड़ा कर हाथ चल देगा।

सिला मिलता है नेकी का बदी से इस ज़माने में।
बड़ी बदनामियाँ मिलती अजी रिश्ते निभाने में।
सभी ख़ुदग़र्ज़ हैं अपने भले से काम है सबको-
लगे रहते यहाँं सब एक दूजे को गिराने में।

कभी सच बोलने वाले, ज़माने को नहीं भाते।
असत मधु घोलने वाले, दिलों में हैं जगह पाते।
ज़माने का चलन है झूठ को सच से बड़ा कहना-
नहीं जो सीखते यह सब, तरक्की कर नहीं पाते।

रिपुदमन झा ‘पिनाकी’
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

Language: Hindi
226 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
खामोशी : काश इसे भी पढ़ लेता....!
खामोशी : काश इसे भी पढ़ लेता....!
VEDANTA PATEL
''हसीन लम्हों के ख्वाब सजा कर रखें हैं मैंने
''हसीन लम्हों के ख्वाब सजा कर रखें हैं मैंने
शिव प्रताप लोधी
दोहा-विद्यालय
दोहा-विद्यालय
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
समय की कविता
समय की कविता
Vansh Agarwal
रुत चुनावी आई🙏
रुत चुनावी आई🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
परिवार के बीच तारों सा टूट रहा हूं मैं।
परिवार के बीच तारों सा टूट रहा हूं मैं।
राज वीर शर्मा
दलित साहित्य / ओमप्रकाश वाल्मीकि और प्रह्लाद चंद्र दास की कहानी के दलित नायकों का तुलनात्मक अध्ययन // आनंद प्रवीण//Anandpravin
दलित साहित्य / ओमप्रकाश वाल्मीकि और प्रह्लाद चंद्र दास की कहानी के दलित नायकों का तुलनात्मक अध्ययन // आनंद प्रवीण//Anandpravin
आनंद प्रवीण
"बहरापन"
Dr. Kishan tandon kranti
सुरक से ना मिले आराम
सुरक से ना मिले आराम
AJAY AMITABH SUMAN
सूत जी, पुराणों के व्याख्यान कर्ता ।।
सूत जी, पुराणों के व्याख्यान कर्ता ।।
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
शिक्षा
शिक्षा
Neeraj Agarwal
जिस माहौल को हम कभी झेले होते हैं,
जिस माहौल को हम कभी झेले होते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
बाल कविता: तितली रानी चली विद्यालय
बाल कविता: तितली रानी चली विद्यालय
Rajesh Kumar Arjun
संस्कार
संस्कार
Rituraj shivem verma
कितने बेबस
कितने बेबस
Dr fauzia Naseem shad
आदि गुरु शंकराचार्य जयंती
आदि गुरु शंकराचार्य जयंती
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मंजिल तक पहुँचाना प्रिये
मंजिल तक पहुँचाना प्रिये
Pratibha Pandey
मैं अंधियारों से क्यों डरूँ, उम्मीद का तारा जो मुस्कुराता है
मैं अंधियारों से क्यों डरूँ, उम्मीद का तारा जो मुस्कुराता है
VINOD CHAUHAN
जो मिला ही नहीं
जो मिला ही नहीं
Dr. Rajeev Jain
" कौन मनायेगा बॉक्स ऑफिस पर दिवाली -फ़िल्मी लेख " ( भूल भूलेया 3 Vs सिंघम अगेन )
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
सियासत
सियासत
हिमांशु Kulshrestha
*जीवन है मुस्कान (कुंडलिया)*
*जीवन है मुस्कान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
प्रारब्ध का सत्य
प्रारब्ध का सत्य
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ब्राह्मण बुराई का पात्र नहीं है
ब्राह्मण बुराई का पात्र नहीं है
शेखर सिंह
■दूसरा पहलू■
■दूसरा पहलू■
*प्रणय*
हिन्दी के साधक के लिए किया अदभुत पटल प्रदान
हिन्दी के साधक के लिए किया अदभुत पटल प्रदान
Dr.Pratibha Prakash
'ऐन-ए-हयात से बस एक ही बात मैंने सीखी है साकी,
'ऐन-ए-हयात से बस एक ही बात मैंने सीखी है साकी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
3210.*पूर्णिका*
3210.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रोटी का कद्र वहां है जहां भूख बहुत ज्यादा है ll
रोटी का कद्र वहां है जहां भूख बहुत ज्यादा है ll
Ranjeet kumar patre
प्रेम न माने जीत को,
प्रेम न माने जीत को,
sushil sarna
Loading...