ज़ंग
आशा और निराशा के बीच
झूलते-डूबते – उतराते
घोर निराशा के क्षण में भी
अविरल भाव से लक्ष्य प्राप्ति हेतु आशावान बने रहना
बहुत मुश्किल पर नामुमकिन नहीं
होता है इसका अहसास
सफलता की सीढी-दर-सीढी
चढने के उपरांत
चिर प्रतिक्षा चिर संघर्ष के बाद
मिलने वाली हर खुशी
बेज़ोड और अनमोल है
क्योंकि इसकी सुखद अनुभूति
वही महसूस कर सकता है
जिसने हर हाल में रहकर
अपना संघर्ष जारी रखकर
कोशिश की सबको साथ लेकर
निरंतर बने रहने की
कभी भाग्य के भरोसे नहीं बैठे
लगे रहे कर्म अपना मानकर
और सफलता के मुकाम पर पहुँचे
संगर्व-सम्मान…..
तभी तो कहा जाता है
आदमी अपने भाग्य से नहीं
अपने कर्मों से महान होता है
छोटी-छोटी लडाइयाँ जीतने के बाद ही
कोई बडी जंग जीतता है !
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