जहुरिया
जहुरिया
ऐ जहुरिया कुछु बोल न,
सवांगा पूरा कर दुहु।
संगे गोठियाबे संगे बिताबे त,
फुलकैना कस चमका दुहु।
तै कह देते मैं सुन दारतेव,
अंखिया देते मैं समझ जातेव।
मया म मोह दारेव जहुरिया,
बोलते त झूलना झूला देतेव।
तोर तन कंचन काया हे,
बोली सुघ्घर मधुबाला हे।
संगे जीबो संगे मरबो जहुरिया,
मया के इही तो परिभाषा हे।
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रचनाकार – डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पिपरभावना, बलौदाबाजार (छ.ग.)
मो. – 8120587822