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26 Nov 2016 · 1 min read

जहां में कहां हम ही ऐसे हैं………………

जहां में कहां हम ही ऐसे हैं
कई और भी मेरे जैसे हैं

जबसे छूटा है साथ तुम्हारा
मिरे हाल ना पूछो कैसे हैं

बदल गए रंग तेरी उल्फ़त के
मगर हम वैसे के वैसे हैं

नहीं इंसानियत ही बस इनमें
वैसे दीद में इन्सा जैसे हैं

नहीं पा सके मुहब्बत किसी की
बस हालात ही अपने ऐसे हैं

मिरी बात गई शायद उन तक
मुझे देख हाये खुश कैसे हैं

कहाँ से खरीदू खुशियाँ अपनी
मिरे पास ना इतने पैसे हैं

–सुरेश सांगवान’सरु’

1 Like · 2 Comments · 287 Views
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