जहां प्रगटे अवधपुरी श्रीराम
जहां प्रगटे अवधपुरी श्रीराम
त्राहि त्राहि मच गई धरा पर
भजन लगे सब हरि का नाम।
पावन धारा सरयू मैया की,
जहां प्रगटे अवधपुरी श्रीराम ।।
रघुवंश शिरोमणि कहलाए
आए ऋषि मुनियों के काम।
संतों के सब कष्ट निवारे
दीन -दुखी जन- जन के राम।।
मर्यादा पालन कर जग में
मात कोशिल्या का कर नाम।
मातु जानकी संग शोभित हैं
बजरंगबली के हिय में राम।।
नवमी तिथि शुभ चैत मास
साकेतपुरी है शोभित धाम।
संत शिरोमणि गोस्वामी के,
पूजित हैं नित प्रभु श्रीराम।।
**© मोहन पाण्डेय ‘भ्रमर ‘
१७अप्रैल २०२४
चैत्र शुक्ल,
नवमी , बुधवार