जहां चाह वहां राह
एक अनाथ लड़की थी उमा उसके माता पिता की सड़क हादसे में मारे गए ,वोह अपने चाचा चाची के साथ
रहती थी ।उसके चाचा तो बहुत अच्छे थे अपने
अन्य बच्चों की तरह समान रूप से प्यार और देखभाल करते थे ।मगर उसकी चाची बहुत दुष्ट थी ,
उससे सारा घर का काम करवाती और सारा दिन उसे डांटती फटकारती रहती थी।
उसके चाचा के घर के पास एक गोल गप्पे वाला शंकर रहता था ।वोह उसे अक्सर आते जाते मिल जाता,और वोह उससे गोल गप्पे खाने जाती थी ।गोल गप्पे वाला बहुत भला इंसान था ।
शंकर बड़ा दिलवाला होने के नाते उससे गोल गप्पे खाने के पैसे नहीं लेता था । वोह एक तरह से उसका दोस्त बन गया था । वोह उससे अपने दिल की सारी बातें कर लेती थी । और वोह किसी से न कहता था बल्कि उसे हर समय ढांढस बंधाता रहता था ।
एक दिन चाची के कठोर बर्ताव से तंग आकर उमा ने चाचा चाची का घर सदा के लिए छोड़ दिया।
और गोल गप्पे वाले के पास आकर ,फूट फूट कर रोने लगी तो शंकर को उसके घर के हालात का पता था और वोह उसकी मानसिक स्थिति को भी समझ रहा था। उसे लगा यह कोई खुदकुशी जैसा कठोर कदम न उठा ले यह सोचकर उसने उस उमा के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया ।कहा “मैं तुमसे मन ही मन प्रेम करता आ रहा हूं । मैं आर्थिक रूप से जायदा मजबूत तो नहीं हूं मगर इतना जरूर कमा लेता हूं की हमारा गुजारा आराम से हो सकता है ।और तुम्हें मेरे घर पूरा प्रेम और आदर सम्मान मिलेगा। क्या तुम्हें स्वीकार है ?”उमा अनाथ होने के कारण आदर सम्मान और प्यार की ही तो तरसी हुई थी सो मान गई और आखिरकार लड़की ने उस गोल गप्पे वाले से शादी कर ली।उमा अपनी गृहस्थी संभालने के साथ साथ अपने पति के काम में हाथ बंटाने लगी ।और बहुत जल्दी उन्होंने अपना रेस्टोरेंट खोल लिया ,क्योंकि उमा पाक कला में निपुण थी ।कुछ व्यंजन बना लेती थी और कुछ पत्र पत्रिकाओं से ,पढ़कर सिख कर बना लेती थी ।
इस प्रकार उनके परस्पर प्रेम और सहयोग से,
उनका जीवन सुख से गुजरने लगा ।इसे कहते है ,
जहां चाह वहां राह । उमा और शंकर एक दूजे को ,
बहुत चाहते थे इसीलिए दोनो के प्रेम ने स्वयं अपनी
प्रेम की शक्ति से अपनी प्रगति की राह बना ली ।
और वोह एक कामयाब और सुखी जीवन जीने लग गए ।