Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 May 2022 · 2 min read

जहां चाह वहां राह

एक अनाथ लड़की थी उमा उसके माता पिता की सड़क हादसे में मारे गए ,वोह अपने चाचा चाची के साथ
रहती थी ।उसके चाचा तो बहुत अच्छे थे अपने
अन्य बच्चों की तरह समान रूप से प्यार और देखभाल करते थे ।मगर उसकी चाची बहुत दुष्ट थी ,
उससे सारा घर का काम करवाती और सारा दिन उसे डांटती फटकारती रहती थी।
उसके चाचा के घर के पास एक गोल गप्पे वाला शंकर रहता था ।वोह उसे अक्सर आते जाते मिल जाता,और वोह उससे गोल गप्पे खाने जाती थी ।गोल गप्पे वाला बहुत भला इंसान था ।
शंकर बड़ा दिलवाला होने के नाते उससे गोल गप्पे खाने के पैसे नहीं लेता था । वोह एक तरह से उसका दोस्त बन गया था । वोह उससे अपने दिल की सारी बातें कर लेती थी । और वोह किसी से न कहता था बल्कि उसे हर समय ढांढस बंधाता रहता था ।
एक दिन चाची के कठोर बर्ताव से तंग आकर उमा ने चाचा चाची का घर सदा के लिए छोड़ दिया।
और गोल गप्पे वाले के पास आकर ,फूट फूट कर रोने लगी तो शंकर को उसके घर के हालात का पता था और वोह उसकी मानसिक स्थिति को भी समझ रहा था। उसे लगा यह कोई खुदकुशी जैसा कठोर कदम न उठा ले यह सोचकर उसने उस उमा के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया ।कहा “मैं तुमसे मन ही मन प्रेम करता आ रहा हूं । मैं आर्थिक रूप से जायदा मजबूत तो नहीं हूं मगर इतना जरूर कमा लेता हूं की हमारा गुजारा आराम से हो सकता है ।और तुम्हें मेरे घर पूरा प्रेम और आदर सम्मान मिलेगा। क्या तुम्हें स्वीकार है ?”उमा अनाथ होने के कारण आदर सम्मान और प्यार की ही तो तरसी हुई थी सो मान गई और आखिरकार लड़की ने उस गोल गप्पे वाले से शादी कर ली।उमा अपनी गृहस्थी संभालने के साथ साथ अपने पति के काम में हाथ बंटाने लगी ।और बहुत जल्दी उन्होंने अपना रेस्टोरेंट खोल लिया ,क्योंकि उमा पाक कला में निपुण थी ।कुछ व्यंजन बना लेती थी और कुछ पत्र पत्रिकाओं से ,पढ़कर सिख कर बना लेती थी ।
इस प्रकार उनके परस्पर प्रेम और सहयोग से,
उनका जीवन सुख से गुजरने लगा ।इसे कहते है ,
जहां चाह वहां राह । उमा और शंकर एक दूजे को ,
बहुत चाहते थे इसीलिए दोनो के प्रेम ने स्वयं अपनी
प्रेम की शक्ति से अपनी प्रगति की राह बना ली ।
और वोह एक कामयाब और सुखी जीवन जीने लग गए ।

Language: Hindi
1 Like · 277 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all
You may also like:
#आधार छंद : रजनी छंद
#आधार छंद : रजनी छंद
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
जिंदगी हवाई जहाज
जिंदगी हवाई जहाज
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
रानी मर्दानी
रानी मर्दानी
Dr.Pratibha Prakash
3132.*पूर्णिका*
3132.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
‘ विरोधरस ‘---9. || विरोधरस के आलम्बनों के वाचिक अनुभाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---9. || विरोधरस के आलम्बनों के वाचिक अनुभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
ग़ज़ल _ थोड़ा सा मुस्कुरा कर 🥰
ग़ज़ल _ थोड़ा सा मुस्कुरा कर 🥰
Neelofar Khan
if you love me you will get love for sure.
if you love me you will get love for sure.
पूर्वार्थ
*बस याद ही रह जाएगी*
*बस याद ही रह जाएगी*
Sunil Gupta
" जुबां "
Dr. Kishan tandon kranti
स्वागत है  इस नूतन का  यह वर्ष सदा सुखदायक हो।
स्वागत है इस नूतन का यह वर्ष सदा सुखदायक हो।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
हारो बेशक कई बार,हार के आगे झुको नहीं।
हारो बेशक कई बार,हार के आगे झुको नहीं।
Neelam Sharma
नफ़रत कि आग में यहां, सब लोग जल रहे,
नफ़रत कि आग में यहां, सब लोग जल रहे,
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
मैं कभी तुमको
मैं कभी तुमको
Dr fauzia Naseem shad
*आए सदियों बाद हैं, रामलला निज धाम (कुंडलिया)*
*आए सदियों बाद हैं, रामलला निज धाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
लाड बिगाड़े लाडला ,
लाड बिगाड़े लाडला ,
sushil sarna
अमेठी के दंगल में शायद ऐन वक्त पर फटेगा पोस्टर और निकलेगा
अमेठी के दंगल में शायद ऐन वक्त पर फटेगा पोस्टर और निकलेगा "ज़
*प्रणय*
प्रेम.....
प्रेम.....
हिमांशु Kulshrestha
प्रेम और सद्भाव के रंग सारी दुनिया पर डालिए
प्रेम और सद्भाव के रंग सारी दुनिया पर डालिए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
ज़िंदगी से शिकायतें बंद कर दो
ज़िंदगी से शिकायतें बंद कर दो
Sonam Puneet Dubey
“ भाषा की मृदुलता ”
“ भाषा की मृदुलता ”
DrLakshman Jha Parimal
जिंदगी सभी के लिए एक खुली रंगीन किताब है
जिंदगी सभी के लिए एक खुली रंगीन किताब है
Rituraj shivem verma
मोहब्बत का अंजाम कभी खुशी कभी गम।
मोहब्बत का अंजाम कभी खुशी कभी गम।
Rj Anand Prajapati
अंहकार
अंहकार
Neeraj Agarwal
ଏହା ହେଉଛି ପବନ
ଏହା ହେଉଛି ପବନ
Otteri Selvakumar
एक कहानी लिख डाली.....✍️
एक कहानी लिख डाली.....✍️
singh kunwar sarvendra vikram
ञ'पर क्या लिखूं
ञ'पर क्या लिखूं
Satish Srijan
उस की आँखें ग़ज़ालों सी थीं - संदीप ठाकुर
उस की आँखें ग़ज़ालों सी थीं - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
यूं न इतराया कर,ये तो बस ‘इत्तेफ़ाक’ है
यूं न इतराया कर,ये तो बस ‘इत्तेफ़ाक’ है
Keshav kishor Kumar
Loading...