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2 Jul 2022 · 1 min read

जहाँ हम लोग रहते हैं( मुक्तक)

जहाँ हम लोग रहते हैं( मुक्तक)
“”””””””””””””””””””””””””””””””””
न रिक्शा-कार चलती है, जहॉं हम लोग
रहते हैं
शहर के मुख्य मार्गों को, गली अब लोग
कहते हैं
यहाँ चौड़ीकरण सड़कों का, अब तक हो
नहीं पाया
किया यह जुर्म औरों का, सजा हम लोग
सहते हैं
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर( उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999 7615 451

Language: Hindi
87 Views
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