==* जहाँ मैं खड़ा था *== (गजल)
नजारा नशीला जहाँ मैं खड़ा था
गवारा नही लौटना मैं खड़ा था
नदी सामने बेतहाशा हसीं थी
न मंजूर वो भापना मैं खड़ा था
जरासा डरा मैं तजुर्बा न कोई
पड़ा थंड में कांपना मैं खड़ा था
सहारा न कोई अकेली जवानी
बड़ी बेवफा यातना मैं खड़ा था
शशी ने बताये फसाने वहां के
बचा जो समा ताकना मैं खड़ा था
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शशिकांत शांडिले, नागपुर
भ्र.९९७५९९५४५०