जहाँ तक हो….
कि तुम बोलो या हम बोलें,
जहाँ तक हो तो कम बोलें!
०००
कभी सुख डोलते उर में,
कभी दुःख खौलते उर में!
हृदय में जब भी ग़म बोलें,
जहाँ तक हो तो कम बोलें!!
०००
सहज ही ज़िन्दगी गाये,
न जाने कब खुशी गाये!
जब अपनों के सितम बोलें,
जहाँ तक हो तो कम बोलें!
०००
मिलेगा संग कब मन का,
खिलेगा रंग जीवन का!
सपन में आ सनम बोलें,
जहाँ तक हो तो कम बोलें!
*सतीश तिवारी ‘सरस’,नरसिंहपुर (म.प्र.)