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12 Oct 2023 · 1 min read

जस गीत

आबे दाई तय आबे ओ
तोर गोड़ के धुर्रा गिराबे ओ।
नान्हे नान्हे लईका तोर।
तय मया के बरषा कराबे ओ।

आबे दाई तय आबे ओ
मया के बरषा कराबे ओ।।

नई जानना तोर भाव भजन
नई जानेव तोर भक्ति।
नौ दिन नौ रात व्रत बर तय
दे मोलाअड़बड़ शक्ति।।

मोर गरीब के कुटिया म तय
छप्पन भोग कहां पाबे।
आबे दाई तय आबे ओ
मया के बरषा तय कराबे ओ।

मोर घर अंगना के फुलवारी
म,पैरी सुघर बजाबे।
पाप पुन के तन बने हे
तय। ज्ञान जोत ल जलाबे ओ

आबे दाई तय आबे ओ
ज्ञान मार्ग ल बताबे ओ

मैं मुरख नादान हव दाई
ममता मोला दिखाबे ओ
अपन कोख के समझ लईका
तय लोरी गीत सुनाबे ओ

आबे दाई तय आबे ओ
हृदय से नमन ही पाबे ओ

डॉ विजय कुमार कन्नौजे अमोदी आरंग रायपुर

समीक्षा हेतु प्रेषित है,

Language: Hindi
1 Like · 211 Views
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