जस गीत
आबे दाई तय आबे ओ
तोर गोड़ के धुर्रा गिराबे ओ।
नान्हे नान्हे लईका तोर।
तय मया के बरषा कराबे ओ।
आबे दाई तय आबे ओ
मया के बरषा कराबे ओ।।
नई जानना तोर भाव भजन
नई जानेव तोर भक्ति।
नौ दिन नौ रात व्रत बर तय
दे मोलाअड़बड़ शक्ति।।
मोर गरीब के कुटिया म तय
छप्पन भोग कहां पाबे।
आबे दाई तय आबे ओ
मया के बरषा तय कराबे ओ।
मोर घर अंगना के फुलवारी
म,पैरी सुघर बजाबे।
पाप पुन के तन बने हे
तय। ज्ञान जोत ल जलाबे ओ
आबे दाई तय आबे ओ
ज्ञान मार्ग ल बताबे ओ
मैं मुरख नादान हव दाई
ममता मोला दिखाबे ओ
अपन कोख के समझ लईका
तय लोरी गीत सुनाबे ओ
आबे दाई तय आबे ओ
हृदय से नमन ही पाबे ओ
डॉ विजय कुमार कन्नौजे अमोदी आरंग रायपुर
समीक्षा हेतु प्रेषित है,