जवाब नहीं मिला
जवाब नहीं मिला
मनीषा अपने विद्यालय में हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर, गणतंत्र दिवस पर व अन्य अवसर पर भाषण में, अक्सर महापुरुषों के बारे में सुनती रही।
एक दिन उससे रहा नहीं गया। भरी सभा में सवाल कर डाला। भारत में आज तक महापुरुष ही क्यों हुए हैं? महामहिला क्यों नहीं हुईं? महामहिला शब्द उच्चारण में अटपटा क्यों लगता है? यह शब्द प्रचलन में क्यों नहीं आया? वह सवाल करती रही।
लेकिन किसी से भी उसे जवाब नहीं मिला। महिला अध्यापिकाओं से भी नहीं। धर्मग्रंथों से भी नहीं।
-विनोद सिल्ला