जवान
वो ईमान है ,भारत के लाल है
वो बेईमान जो सत्ता का पालनहार है ।
वो जवान शहीद हुआ उसका किसको गुमान रहा है
वो रक्त लाल बीज बोए ,
वो जवान शहीद हुआ इस अमन को सोने की चिड़िया तक पहुँचा रहा है।
अंधे आंतको के ढेर में वो जवान बारूद में उछल रहा है
यहाँ देश में रंगों की होली कोई खेल रहा है ।
वही नो जवान बारूदों में खून को उछल रहा है ।
वही नायिका तिरंगे में लिपटकर कोण सा सम्मान गाडर दिला रहा है।
जब हम यहां फूलो की होली खेल रहे है
वही सैनिक पतन पर कांटो में अपनी छाती को छलनी कर रहे है ,
मातृ भूमि के साए में वो वीर जवान अपनी ही जन्मदात्री को रुला कर हँसके हँसके अपने प्राण न्योच्छावर कर रहा है ।
ऐसे मेरे वीर को लाख लाख जय हिंद नमन अक्षु धारा से प्रवीण भी दिली हिंदुस्तानी से बोल रहा है ।
✍ पी एस ताल