जवानी में फिसलते पाँव
नमन ? :- साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
#साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई
दिनाँक-28.01.2021से 30.01.2021
दिनांक :- 29/01/2021
दिवस :- शुक्रवार
विषय-जवानी में फिसलते पाँव
विधा-गद्य
माँ सरस्वती, साहित्य संगम संस्थान पश्चिम बंगाल इकाई को नमन करते हुए, आप सभी सम्मानित साहित्य प्रेमियों को सादर प्रणाम, आज का विषय “जवानी में फिसलते पाँव ” बहुत ही रोचक विषय है , इसके लिए विषय प्रदाता आ. कुमार रोहित रोज़ जी व विषय प्रवर्तक आ. सुधीर श्रीवास्तव जी को बहुत बहुत धन्यवाद ।
अब चर्चा करते है जवानी में फिसलते पाँव विषय पर , विषय से ही पता चल रहा है कि अपने लक्ष्य से पीछे हटना ,जी हां जैसे जैसे हम आगे बढ़ते जा रहे , वैसे वैसे हमारी ज़िम्मेदारियां बढ़ती जाती है , एक उदाहरण अभी पेश कर रहे है , जब हम बचपन में क्रिकेट खेलते थे उस वक्त एक गेंद खरीदने के लिए सभी मिलाकर पैसे देते तब गेंद खरीदते , आज हम अकेले गेंद खरीद सकते है पर दोस्तों को एक ही एक ही स्थान पर एकत्रित नहीं कर सकते , इसका मुख्य कारण है सभी का एक दूसरे से अलग अलग लक्ष्य , जिसकी प्राप्ति के लिए सभी अपने अपने राह पर चल देते , कोई समाज सेवा करना चाहते , कोई शिक्षक बनना चाहते आदि , बनते भी है । पर हम जवानी को एक ग्रह मानते हैं जो क्षण भर की प्रेम लिए लोगों को अपने लक्ष्य से विचलित कर देते है , पर इस जवानी का क्या कसूर । बचपना , जवानी , बूढ़ापा एक अवस्था है जिसे समय पर आना ही आना है ।
✍️ रोशन कुमार झा
सुरेन्द्रनाथ इवनिंग कॉलेज, कोलकाता
ग्राम :- झोंझी , मधुबनी , बिहार,
मो :-6290640716, कविता :- 18(90)