जल
जलदिवस आयोजन
प्रथम प्रयास
जल
ईश्वर ने जब दृष्टि रची तो
पंच तत्व विस्तार किया
पृथ्वी के तिहाई हिस्से पर
जल जीवन आधार दिया
करें यदि इतिहास अवलोकन
जल ने सभ्यता विकास किया
सिंधु नदी हो नील नदी हो
अमर संस्कृति प्रचार किया
जबसे मानव हुआ भौतिकवादी
उसने खुद और कुठाराघात किया
विकास आधुनिकता के नाम पर
प्रकृति सौंदर्य विनाश किया
स्वार्थ क्षणिक ने विवेक को मारा
जल संसाधन को विकार दिया
भूगर्भ जल स्तर निम्न हो गया
कुआं बाबड़ी तालाब नाश किया
मीठा जल खत्म हो गया
रासायनिक जब अत्याचार किया
अब हो गया आसमान मजबूर
उसने वर्षा में तेज़ाब गिरा दिया
हे मनुष्य हो गया तू विकृत
अपना भविष्य खराब किया
फैलाया विकास ने प्रदूषण
धन लोलुपता ने बंटाधार किया
भूल गया ईश्वर को प्राणी
जिसने सृष्टि निर्माण किया
कर्ता मानकर खुद को मानव ने
पतन अमन निश्चित है किया
अनावश्यक बाँध बनाकर
पर्वत नदियों पर अत्याचार किया
आज समस्या सुरसा बनी जब
तब जल दिवस आयोजन किया
समय अभी सम्भल जा प्राणी
जिन तकनीकों का विकास किया
वर्षा जल का करो संरक्षण
प्रदूषण जल प्रतिबंध किया
जहाँ प्यास से जीवन इति हुई है
उस शिक्षा तब प्रसार किया
हैं वाध्य बहुत् से खड्ड पीने पर
देर से पर विचार तो किया
आओ समझें अपनी गलती को
दे आयाम सुधार किया
करें संरक्षित अब जो जल थल पे
पहल यही भूल सुधार हुआ
डॉ प्रतिभा प्रकाश