जल ही जीवन है..!
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संकट में है आज जीवन अपना।
जल बिना नहीं, जीवन अपना।।
ये जल नहीं तो अन्न नहीं है।
जल बिना ये जीवन नहीं है।।
जीवन को अगर बचाना है।
तो पानी को हमें रोकना है।।
हर मानव का धर्म है।
पानी को रोकना अपना कर्म है।।
खेत-खेत में डबरी-पोखर बनाना है।
हैण्डपम्प-कुएं-नलकूप रिचार्ज कराना है।।
पानी को बेकार जाने न देना है।
बहते पानी को हमें रोक देना है।।
गांव के छोटे-छोटे नाले बांधना है।
छोटे-छोटे बांधों से पानी रोकना है।।
इस तरह वर्षा का पानी रोकना है।
हमें भू-जल स्तर को बढ़ाना है।।
सुखे जैसे संकट से निपटना है।
ये बात हर मानव को समझना है।।
खेत का पानी खेत में ही रहें।
गांव का पानी गांव में ही रहें।।
तहसील का पानी तहसील में ही रहें।
जिले का पानी जिले में ही रहें।।
प्रदेश का पानी प्रदेश में ही रहें।
और देश का पानी देश में ही रहें।।
जब ये बात हर मानव समझ जाएगा।
तो देश-प्रदेश में जल-संकट नहीं आएगा।।
क्योंकि जग में जल बिना कुछ नहीं।
जल ही जीवन है जल बिना कुछ नहीं।।
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रचयिता: प्रभुदयाल रानीवाल (उज्जैन)।
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