जल ही जीवन है
जल ही तो जीवन है।
जल से ही तो कल है जल ही न बचाओगे।
कल कैसे बचाओगे।
जब वृक्ष लगाओगे ,वर्षा होगी इनसे।
वर्षा के जल को तुम संचित करना प्यारे।
इस संचित जल से , जीवन को बचाओगे।
यह जल तो अमूल्य है , न व्यर्थ बहाओ इसे।
टोंटी न खुली छोड़ो ,कुछ जल तो बचाओगे ।
जल ही तो जीवन है जल ही न बचाओगे ।
कल कैसे बचाओगे
वो गौर करें सुनले ,अनमोल निधि है जल।
जागे जो नहीं अब भी, रोएंगे माथा पकड़।
गाड़ी धुलवाने में , पशुओं के नहलाने में ,
वर्वादी न हो जल की ,मत आज में जी प्यारे ।
कुछ सोच ज़रा कल की ,
कल अगली पीढ़ी को जल जल कहां से पाओगे।
रुपया पैसा दौलत, होगी सब पास तेरे।
जब प्यास सताएगी, दौलत न बुझाएगी,
चहुं ओर जहर होगा , फैक्ट्री ये खड़ी घेरे।
रेखा उस दिन कैसे तुम खुद को बचाओगे।