“जल ही जीवन है”
1-
मिलके जल बचाएँ,आओ रे कल बचाएँ,
संकल्प हम उठाएँ,जल बहाना नहीं।
इसका विकल्प नहीं,है बात बिल्कुल सही,
जल स्तर घट रहा,कल तो आना नहीं।
सूखे हैं ताल तलैया,देखो कर गौर भैया,
है मँझधार में नैया, इसे डुबाना नहीं।
कुछ तो जतन करो,थोड़ा-सा प्रयत्न करो,
बचाने की लग्न करो,इसे भुलाना नहीं।
2-
कुएँ नल तालाब हों,जोहड़ नदी आब हो,
सारे बिल्कुल साफ़ हों,संकल्प ये कीजिए।
लगाकर पेड़ हरे,रक्षा मिल सारे करें,
चक्र तब ठीक फिरे,आनंद ये लीजिए।
पेड़ जब भी लगाया,फ़ोटो तब खिंचवाया।
नहीं सींचना तो भाया,अब तो ये छोड़िए।
संकट जल का भारी,चारों ओर है ये जारी,
काबू करो नर नारी,ध्यान ज़रा दीजिए।
3-
जल गया कल गया,बचेगा संभल गया,
कहके सरल गया,समझे कोई इसे।
जाने कीमत जल की,करे फ़िकर कल की,
व्यर्थ वो बहाए नहीं,बचाए ख़ूब इसे।
सरकारें ध्यान करें,संग्रह-विधान करें,
जनहित में हो जारी,सभी समझें इसे।
पाईप हो लीक कहीँ,ट्यूटी दिख जाए बही,
बंद तुरन्त कीजिए,ड्यूटी समझें इसे।
?आर.एस.प्रीतम?