जल संरक्षण
पानी की किल्लत हुई, मुई प्यास बदहाल।
विकल मही के सामने, संकट है विकराल।
संकट है विकराल, तृषित आषाढ़ महीना।
श्यामल मेघ अलोप, करे अब मुश्किल जीना।
वसुधा कहती सुनो, मनुज मत कर नादानी।
पेड़ लगाकर नित्य, बचाओ जी वन पानी।
प्रीति
पानी की किल्लत हुई, मुई प्यास बदहाल।
विकल मही के सामने, संकट है विकराल।
संकट है विकराल, तृषित आषाढ़ महीना।
श्यामल मेघ अलोप, करे अब मुश्किल जीना।
वसुधा कहती सुनो, मनुज मत कर नादानी।
पेड़ लगाकर नित्य, बचाओ जी वन पानी।
प्रीति