जल शक्ति अभियान
आज समूचे विश्व सहित भारत में जल संकट के विकराल दौर से गुज़र रहा है। जल संकट से जन मानस त्राहि-त्राहि कर रहा है। वर्तमान समय की इस महाविकट समस्या के त्वरित समाधान हेतु भारत सरकार द्वारा जल की महत्ता को सर्वोपरि रखते हुए देश में नया “जल शक्ति मंत्रालय” बनाया गया है।
30 जून 2019 को दोपहर के 11बजे प्रसारित “मन की बात” में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने देशवासियों से जल संरक्षण हेतु पारम्परिक व बुनियादी रीतियां अपनाने का आग्रह किया।
प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा- “जल संरक्षण के लिए जन आंदोलन की करें शुरुआत। ”
माननीय मोदी जी के शब्दों में – “मेरे प्यारे देशवासियों, मुझे इस बात की ख़ुशी है कि हमारे देश के लोग उन मुद्दों के बारे में सोच रहे हैं, जो न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य के लिए भी बड़ी चुनौती है। मैं नरेंद्र मोदी ऐप और Mygov पर आपके कॉमेंट्स पढ़ रहा था और मैंने देखा कि पानी की समस्या को लेकर कई लोगों ने बहुत कुछ लिखा है।”
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मोदी जी ने एक सरपंच का वाकया सुनाया। मोदी जी के शब्दों में –
“आज, ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मैं आपको एक सरपंच की बात सुनाना चाहता हूँ। सुनिए झारखंड के हजारीबाग जिले के कटकमसांडी ब्लॉक की लुपुंग पंचायत के सरपंच ने हम सबको क्या सन्देश दिया है:—–
“मेरा नाम दिलीप कुमार रविदास है। पानी बचाने के लिए जब प्रधानमंत्री जी ने हमें चिट्ठी लिखी तो हमें विश्वास ही नहीं हुआ कि प्रधानमंत्री ने हमें चिट्ठी लिखी है। जब हमने 22 तारीख को गाँव के लोगों को इकट्ठा करके, प्रधानमंत्री कि चिट्ठी पढ़कर सुनाई तो गाँव के लोग बहुत उत्साहित हुए और पानी बचाने के लिए तालाब की सफाई और नया तालाब बनाने के लिए श्रम-दान करके अपनी अपनी भागीदारी निभाने के लिए तैयार हो गए।बरसात के पूर्व यह उपाय अपनाने से भविष्य में हमें पानी की कमी नहीं होगी। यह अच्छा हुआ कि हमारे प्रधानमंत्री ने हमें ठीक समय पर आगाह कर दिया। ”
इससे यह साबित होता है कि
“देशभर में ऐसे कई सरपंच हैं, जिन्होंने जल संरक्षण का बीड़ा उठा लिया है। एक प्रकार से पूरे गाँव के लिए ही वो अच्छा अवसर बन गया है। ऐसा लग रहा है कि गाँव के लोग, अब अपने गाँव में, जैसे जल मंदिर बनाने के स्पर्धा में जुट गए हैं। जैसा कि मैंने कहा, सामूहिक प्रयास से बड़े सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं..”
उन्होंने कहा –
” मुझे विश्वास है कि इस प्रकार के कई प्रयास किये जा रहे हैं और जब हम एकजुट होकर, मजबूती से प्रयास करते हैं तो असम्भव को भी सम्भव कर सकते हैं। जब जन-जन जुड़ेगा, जल बचेगा।”
” मन की बात”के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री जी ने देशवासियों से 3 अनुरोध किए जो निम्नलिखित हैं–
माननीय मोदी जी का प्रथम अनुरोध है कि –
जैसे देशवासियों ने स्वच्छता को एक जन आंदोलन का रूप दे दिया। आइए, वैसे ही जल संरक्षण के लिए एक जन आंदोलन की शुरुआत करें। हम सब साथ मिलकर पानी की हर बूंद को बचाने का संकल्प करें और मेरा तो विश्वास है कि पानी परमेश्वर का दिया हुआ प्रसाद है, पानी पारस का रूप है। पहले कहते थे कि पारस के स्पर्श से लोहा सोना बन जाता है। मैं कहता हूँ, पानी पारस है और पारस से, पानी के स्पर्श से, नवजीवन निर्मित हो जाता है। पानी की एक-एक बूंद को बचाने के लिए एक जागरूकता अभियान की शुरुआत करें। इसमें पानी से जुड़ी समस्याओं के बारे में बतायें, साथ ही, पानी बचाने के तरीकों का प्रचार-प्रसार करें।
मोदी जी का दूसरा अनुरोध –
“हमारे देश में पानी के संरक्षण के लिए कई पारंपरिक तौर-तरीके सदियों से उपयोग में लाए जा रहे हैं। मैं आप सभी से, जल संरक्षण के उन पारंपरिक तरीकों को share करने का आग्रह करता हूँ। आपमें से किसी को अगर पोरबंदर,पूज्य बापू के जन्म स्थान पर जाने का मौका मिला होगा तो पूज्य बापू के घर के पीछे ही एक दूसरा घर है, वहाँ पर, 200 साल पुराना पानी का टांका है और आज भी उसमें पानी है और बरसात के पानी को रोकने की व्यवस्था है। तो मैं हमेशा कहता था कि जो भी कीर्ति मंदिर जायें वो उस पानी के टांके को जरुर देखें। ऐसे कई प्रकार के प्रयोग हर जगह पर होंगे।”
माननीय मोदी जी का तीसरा अनुरोध – – – –
” जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले व्यक्तियों, स्वयं सेवी संस्थाओं व इस क्षेत्र में सक्रिय रहने वाले हर किसी को जिसको इसकी जानकारी हो, उसे सबसे साझा करें ताकि जल के लिए समर्पित व्यक्तियों व संगठनों का एक बहुत ही सक्रिय व समृद्ध पानी के लिए समर्पित डाटाबेस बनाया जा सके।”
प्रधानमंत्री जी ने यह कहा कि
1. हमने जल संचय से आगे जाकर सोचना होगा।
2.जल संरक्षण के लिए नवाचारों को अपनाना होगा।
3.इसमें कोई संदेह नहीं कि जल संकट को गंभीरता से लेने की जरूरत थी और मोदी सरकार ने इस व