*जल महादेव मैं तुम्हें चढ़ाने आया हूॅं (भक्ति गीत)*
जल महादेव मैं तुम्हें चढ़ाने आया हूॅं (भक्ति गीत)
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नदियों का जल महादेव मैं तुम्हें चढ़ाने आया हूॅं
(1)
कॉंवर में जो जल है उसके शंकर तुम्ही प्रदाता
सभी वस्तुओं के तुम स्वामी, नजर यही है आता
जल में अपना हृदय घोलकर अर्पित करने लाया हूॅं
(2)
तुम में ही ब्रह्मांड बस रहा, सब में तुम को पाते
जो मन के भोले वे तुमको महादेव हैं भाते
खोज रहा हूॅं कहॉं छुपे तुम, अब तक केवल काया हूॅं
(3)
रामेश्वर से अमरनाथ तक, गीत तुम्हारे गाता
भारत के कण-कण पर्वत नदियों का तुम से नाता
तुम स्वामी मैं दास तुम्हारा, सदा सदा कहलाया हूॅं
(4)
यह तुम ही हो वेग स्वर्ग से, गंगा का सह पाए
सागर-मंथन का विष पीकर गरलकंठ कहलाए
कर दो बेड़ा पार जन्म-जन्मांतर का ठुकराया हूॅं
नदियों का जल महादेव मैं तुम्हें चढ़ाने आया हूॅं
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451