*** जल -बिन मीन ***
रैन गयी रमता-रमता दिवस भयो परभात
जिण मिलना था मिली गया
वा मिलन री रात
पिव गयो परदेश सिधार
आवे याद मिलण री रात
पिवजी थाने कैंयां बताऊं
म्हारे हिवड़े री बात
काम करे इसड़ा काम
हिवड़े लगावे आग
आवो नी थे म्हारा पिवजी
आन भयो परभात
नींदड़ली जी आंवती
अब आवत ना जावती
हाल हुयो बेहाल
थां बिन म्हारा मीत
प्रीत लगाऊं ओर किण सूं
थां बिन चैन ना मीत
आवों नी पधारो हिवड़े
बण स्वाति री बूंद
चातक ज्यूं चावे थांने
ज्यूं जल-बिन मीन ।।
?मधुप बैरागी