जल बचाकर
जल बचाकर स्वर्ग जीवन को बनाओ।
जागरुक बन व्यर्थ मत इसको बहाओ।
बोतलों में आज क्यों यह बिक रहा है।
पाप है यह शीघ्र इससे मुक्ति पाओ।
जल प्रदूषित हो रहा क्यों हर जगह अब।
गन्दगी पानी में बिल्कुल मत मिलाओ।
दे रही चेतावनी कुदरत हमें जब।
कह रहा है वक्त हमसे जाग जाओ।
सूखती नदियां प्रदूषित हैं सरोवर।
स्वार्थ से ऊपर उठो इनको बचाओ।
हो चुकी बेकार की बातें बहुत अब।
जल हवा हित कार्य कुछ कर के दिखाओ।
नीतियां बनती रही उन पर अमल हो।
है समय कम आज ही बीड़ा उठाओ।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०२/०५/२०२४