जल और कल
जल और कल
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कितना मधुर है ये जीवन
लेकिन हम कहाँ समझते हैं
हम तो खुद ही
इसे मिटाने पर आमादा हैं
तभी तो सब कुछ जानते हुए भी
जल की बर्बादी पर
एकदम से आमादा हैं।
हमें भी पता है कि
जल ही जीवन है,
जल है तो कल है।
परंतु
कहाँ होश है हमें
हम तो गुमान में हैं,
कुछ लोग परेशान भी हैं।
फिर भी सब सरकार की ही
जिम्मेदारी है,
हमारी तो वश
बर्बादी से ही यारी है।
जाने कितने अभियान
जल संरक्षण पर चल रहें हैं,
मगर हम तो बस
जल बर्बाद करते हुए मुस्कारा रहे है।
हमें पता ही नहीं हम
क्या कर रहे हैं,
अपनी बर्बादी को हम
खुद ही निमंत्रण दे रहे हैं।
अब भी समय है ,संभल जाइये
जल ही जीवन है का
मंत्र अपनाइए
जल है तो कल है का
खुद भी अभियान चलाइए
अपने,अपने बच्चों और
आने वाली पीढियों के लिए
कल से,आज से नहीं
बल्कि अभी से
जल को,कल को बचाइये।
✍सुधीर श्रीवास्तव