जल्दी से आओ दुर्गे माँ।
जल्दी से आओ दुर्गे माँ, भक्त तेरी राह निहारें,
अब देर न करो मेरी माँ, तुझे दिल से पुकारें।
भक्तों ने जब भी तुमको पुकारा,
आकर माँ तूने दिया है सहारा,
घेरा जब भी कष्टों ने हमको,
हर संकट से तुमने उबारा,
विपदा आन पड़ी है माँ,
दुख-सन्ताप मिटाओ।
जल्दी से आओ दुर्गे माँ, भक्त तेरी राह निहारें,
अब देर न करो मेरी माँ, तुझे दिल से पुकारें।
शुम्भ निशुम्भ को तुमने मारा,
महिषासुर को भी था संहारा,
मर्दन किया था ध्रुमलोचन का,
रक्तबीज का रक्त पीया सारा,
कोरोना से कांप रहा संसार,
इसके आतंक से मुक्ति दिलाओ,
जल्दी से आओ दुर्गे माँ, भक्त तेरी राह निहारें,
अब देर न करो मेरी माँ, तुझे दिल से पुकारें।
विनती कर रहा यह जग सारा,
कोरोना को दे दो थप्पड़ करारा,
आस की जोत जगी है मन में,
दूर करो माँ अब अँधियारा,
भँवर में नैय्या फँसी है सबकी,
आकर इसको पार लगाओ,
जल्दी से आओ दुर्गे माँ, भक्त तेरी राह निहारें,
अब देर न करो मेरी माँ, तुझे दिल से पुकारें।
By:Dr Swati Gupta